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Showing posts from April, 2020

देवपूजा_के_विषय_में_राजा_या_सरकार_का_कर्तव्य

#देवपूजा_के_विषय_में_राजा_या_सरकार_का_कर्तव्य ================================== भारतवर्ष का संविधान ऐसे व्यक्तियों ने बनाया जो राष्ट्र के चरित्र निर्माण में धर्म की उपयोगिता से अनभिज्ञ नहीं थे। वस्तुतः परमात्मा में आस्था रखने वाले आस्तिक और धर्म पारायण नागरिक पाप, दुराचार और अपराध से दूर रहते हैं । और सदाचारी तथा कर्तव्य परायण होकर राष्ट्र के निर्माण और प्रगति में योगदान देते हैं। भारतीय लोकतंत्र की सरकार तथाकथित धर्मनिरपेक्ष संविधान से नियंत्रित होने के कारण न तो नागरिक को धर्म आचरण का निर्देश देती है और ना राष्ट्र के कल्याण हेतु देव पूजा और यज्ञ- यागादि जैसे कोई धार्मिक कृत्य ही राष्ट्रीय स्तर पर करती है किंतु प्राचीन काल में भारतवर्ष के राजा ना केवल अपने व्यक्तिगत कल्याण हेतु अपितु संपूर्ण राष्ट्र के कल्याण के लिए मंदिरों का निर्माण देवों की प्रतिष्ठा और उनकी पूजा की व्यवस्था करते थे विष्णु धर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि राजा के द्वारा देवों की पूजा किए जाने पर वे देवता समस्त पृथ्वी का पालन करते हैं। #पालयन्ति_यही_कुत्सनां_पूजिता_पृथिवीक्षिता।                           (#वि

द्वादशी व्रत का माहात्म्य आइये जानते है ?

*🙏द्वादशी व्रत का माहात्म्य*🙏 *🍁 महाभारत आश्वमेधिक पर्व के वैष्णव धर्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 92 में द्वादशी व्रत के माहात्म्य का वर्णन हुआ है।🔔* *॥ 🎄गीतास्तव🎄 ॥* *पार्थाय प्रतिबोधितां भगवता नारायणेन स्वयम् व्यासेनग्रथितां पुराणमुनिना मध्ये महाभारते अद्वैतामृतवर्षिणीं भगवतीमष्टादशाध्यायिनीम् अम्ब त्वामनुसन्दधामि भगवद्गीते भवेद्वेषिणीम्* ॥ *🙏कृष्ण द्वारा द्वादशी व्रत का माहात्म्य युधिष्ठिर ने कहा- भगवन! सब प्रकार के उपवासों में जो सबसे श्रेष्‍ठ, महान फल देने वाला और कल्‍याण का सर्वोत्तम साधन हो, उसका वर्णन करने की कृपा कीजिये। श्रीभगवान बोले- महाराज युधिष्ठिर! तुम मेरे भक्‍त हो। जैसे पूर्व में मैंने नारद से कहा था, वैसे ही तुम्‍हें बतलाता हूँ, सुनो। नरेश! जो पुरुष स्‍नान आदि से पवित्र होकर मेरी पंचमी के दिन भक्‍तिपूर्वक उपवास करता है तथा तीनों समय मेरी पूजा में संलग्‍न रहता है, वह सम्‍पूर्ण यज्ञों का फल पाकर मेरे परम धाम में पगतिष्‍ठित होता है।* *🍁नरेश्‍वर! अमावस्‍या और पूर्णिमा-ये दोनों पर्व, दोनों पक्ष की द्वादशी तथा श्रवण-नक्षत्र-ये पाँच तिथियाँ मेरी पंचमी कहलाती ह

नित्य पूजा पाठ के नियम : कैसे करें रोज घर में भगवान की पूजा

*नित्य पूजा पाठ के नियम : कैसे करें रोज घर में भगवान की पूजा…*             कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि घर में नियमित पूजा-पाठ  किस तरह की जाये और किस भगवान की पूजा की जाये। शुद्ध आसन पर बैठकर प्रातः और संध्या को पूजा अर्चना करने को नित्य नियम कहते हैं पाठ का… वैसे तो भगवान की पूजा किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन पूजन कर्म के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। जानिए सुबह-सुबह पूजा करना क्यों शुभ माना जाता है...         *सुबह पूजा करने का धार्मिक महत्व....*            ब्रह्म मुहूर्त को देवताओं का समय माना गया है। इस समय जागने और पूजन कर्म करने से पूजा जल्दी सफल होती है। सुबह सूर्योदय के समय सभी दैवीय शक्तियां जागृत हो जाती हैं। जिस प्रकार सूर्य की पहली किरण से फूल खिल जाते हैं, ठीक इसी प्रकार सुबह-सुबह की सूर्य की किरणें हमारे शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद होती हैं। दोपहर में 12 से 4 का समय पितरों की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इस समय में भगवान की पूजा से पूरा शुभ फल नहीं मिलता है... *क्रम इस तरह से

तुलसी मंजरी से पूजा क्यो की जाती है

*🌿🍃तुलसी मंजरी से पूजा की महिमा:-🌿🙏* *तुलसी को हमारे धर्म शास्त्रों में एक उच्च स्थान प्राप्त है तुलसी को केशव प्रिया भी कहा गया है तुलसी के साथ-साथ तुलसी की मंजरी से पूजा की भी विशिष्टता है,शास्त्रों में बताया गया है कि* *“🍃तुलसी-मंजरीभिर्यः कुर्यात् हरिहरार्चनम् , न स गर्भगृहं याति मुक्तिभागी न संशयः।”* *अर्थात् तुलसी की मंजरी से जो हरि अर्थात भगवान विष्णु और शिव की पूजा करता है उसको गर्भ में वास नहीं करना पड़ता अर्थात् वह जीव जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।* *ब्रह्माण्ड पुराण में कहा गया है कि तुलसी पर लगी सूखी मंजरियों को हटा देना चाहिए। क्योंकि सूखी मंजरियों के होने से तुलसी दुखी रहती हैं। मंजरी रहित होने पर तुलसी के पौधे का विकास होता है।* *यदि आपके घर में तुलसी में मंजरी ज्यादा है तो आपको उसे हटा दूसरी तुलसी लगा देना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार अधिक मंजरी वाल तुलसी कष्ट में होती है। तुलसी को कष्ट में नही रखना चाहिए। बस यही वजह है कि आपको अपने घर में ज्यादा मंजरी वाली तुलसी नहीं रखनी चाहिए।* *यदि तुलसी-दल को तोड़ें तो उसकी मंजरी और पास के पत्ते तो

आइये जानते है द्वादशी व्रत का माहात्म्य

*🙏द्वादशी व्रत का माहात्म्य*🙏 *🍁 महाभारत आश्वमेधिक पर्व के वैष्णव धर्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 92 में द्वादशी व्रत के माहात्म्य का वर्णन हुआ है।🔔* *॥ 🎄गीतास्तव🎄 ॥*  *पार्थाय प्रतिबोधितां भगवता नारायणेन स्वयम् व्यासेनग्रथितां पुराणमुनिना मध्ये महाभारते अद्वैतामृतवर्षिणीं भगवतीमष्टादशाध्यायिनीम् अम्ब त्वामनुसन्दधामि भगवद्गीते भवेद्वेषिणीम्* ॥  *🙏कृष्ण द्वारा द्वादशी व्रत का माहात्म्य युधिष्ठिर ने कहा- भगवन! सब प्रकार के उपवासों में जो सबसे श्रेष्‍ठ, महान फल देने वाला और कल्‍याण का सर्वोत्तम साधन हो, उसका वर्णन करने की कृपा कीजिये। श्रीभगवान बोले- महाराज युधिष्ठिर! तुम मेरे भक्‍त हो। जैसे पूर्व में मैंने नारद से कहा था, वैसे ही तुम्‍हें बतलाता हूँ, सुनो। नरेश! जो पुरुष स्‍नान आदि से पवित्र होकर मेरी पंचमी के दिन भक्‍तिपूर्वक उपवास करता है तथा तीनों समय मेरी पूजा में संलग्‍न रहता है, वह सम्‍पूर्ण यज्ञों का फल पाकर मेरे परम धाम में पगतिष्‍ठित होता है।* *🍁नरेश्‍वर! अमावस्‍या और पूर्णिमा-ये दोनों पर्व, दोनों पक्ष की द्वादशी तथा श्रवण-नक्षत्र-ये पाँच तिथियाँ मेरी पंचमी