द्वादशी व्रत का माहात्म्य आइये जानते है ?

*🙏द्वादशी व्रत का माहात्म्य*🙏

*🍁 महाभारत आश्वमेधिक पर्व के वैष्णव धर्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 92 में द्वादशी व्रत के माहात्म्य का वर्णन हुआ है।🔔*

*॥ 🎄गीतास्तव🎄 ॥*

*पार्थाय प्रतिबोधितां भगवता नारायणेन स्वयम् व्यासेनग्रथितां पुराणमुनिना मध्ये महाभारते अद्वैतामृतवर्षिणीं भगवतीमष्टादशाध्यायिनीम् अम्ब त्वामनुसन्दधामि भगवद्गीते भवेद्वेषिणीम्* ॥

*🙏कृष्ण द्वारा द्वादशी व्रत का माहात्म्य युधिष्ठिर ने कहा- भगवन! सब प्रकार के उपवासों में जो सबसे श्रेष्‍ठ, महान फल देने वाला और कल्‍याण का सर्वोत्तम साधन हो, उसका वर्णन करने की कृपा कीजिये। श्रीभगवान बोले- महाराज युधिष्ठिर! तुम मेरे भक्‍त हो। जैसे पूर्व में मैंने नारद से कहा था, वैसे ही तुम्‍हें बतलाता हूँ, सुनो। नरेश! जो पुरुष स्‍नान आदि से पवित्र होकर मेरी पंचमी के दिन भक्‍तिपूर्वक उपवास करता है तथा तीनों समय मेरी पूजा में संलग्‍न रहता है, वह सम्‍पूर्ण यज्ञों का फल पाकर मेरे परम धाम में पगतिष्‍ठित होता है।*

*🍁नरेश्‍वर! अमावस्‍या और पूर्णिमा-ये दोनों पर्व, दोनों पक्ष की द्वादशी तथा श्रवण-नक्षत्र-ये पाँच तिथियाँ मेरी पंचमी कहलाती हैं। ये मुझे विशेष प्रिय हैं। अत: श्रेष्‍ठ ब्राह्मणों को उचित है कि वे मेरा विशेष प्रिय करने के लिये मुझ में चित्त लगाकर इन तिथियों में उपवास करें। नरश्रेष्‍ठ! जो सब में उपवास न कर सके, वह केवल द्वादशी को ही उपवास करें; इससे मुझे बड़ी प्रसन्‍नता होती है।*🍁

*🌞जो मार्गशीर्ष की द्वादशी को दिन-रात उपवास करके ‘केशव’ नाम से मेरी पूजा करता है, उसे अश्‍वमेध-यज्ञ का फल मिलता है।*

*🌞जो पौष मास की द्वादशी को उपवास करके जो ‘नारायण’ नाम से मेरी पूजा करता है, वह वाजिमेध-यज्ञ का फल पाता है।*

*🌞राजन! जो माघ की द्वादशी को उपवास करके ‘माधव’ नाम से मेरा पूजन करता है, उसे राजसूय-यज्ञ का फल प्राप्‍त होता है।*

*🌞नरेश्वर! फाल्गुन के महीने में द्वादशी को उपवास करके जो ‘गोविंद’ के नाम से मेरा अर्चन करता है, उसे अतिरात्र याग का फल मिलता है।*

*🎄🅿चैत्र महीने की द्वादशी तिथि को व्रत धारण करके जो ‘विष्‍णु’ नाम से मेरी पूजा करता है, वह पुण्‍डरीक-यज्ञ के फल का भागी होता है।*🌞🌹

  *🌞पाण्‍डुनन्‍दन! वैशाख की द्वादशी को उपवास करके ‘मधुसूदन’ नाम से मेरी पूजा करने वाले को अग्‍निष्‍टोम-यज्ञ का फल मिलता है।*

*🌞राजन! जो मनुष्‍य ज्‍येष्‍ठ मास की द्वादशी तिथि को उपवास करके ‘त्रिविक्रम’ नाम से मेरी पूजा करता है, वह गोमेध के फल का भागी होता है*।

*🌞भरतश्रेष्‍ठ! आषाढ़मास की द्वादशी को व्रत रहकर ‘वामन’ नाम से मेरी पूजा करने वाले पुरुष को नरमेध-यज्ञ का फल प्राप्‍त होता है।*

*🌞राजन! श्रावण महीने में द्वादशी तिथि को उपवास करके जो ‘श्रीधर’ नाम से मेरा पूजन करता है, वह पंचयज्ञों का फल पाता है।*

*🌞नरेश्‍वर! भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को उपवास करके ‘हृषीकेश’ नाम से मेरा अर्चन करने वाले को सौत्रामणि-यज्ञ का फल मिलता है।*

*🌞महाराज! आश्विन की द्वादशी को उपवास करके जो ‘पद्मनाभ’ नाम से मेरा अर्चन करता है, उसे एक हजार गोदान का फल प्राप्‍त होता है।*

*🌞राजन! कार्तिक महीने की द्वादशी तिथि को व्रत रहकर जो ‘दामोदर’ नाम से मेरी पूजा करता है, उसको सम्‍पूर्ण यज्ञों का फल मिलता है।*

*🏆 👪नरपते! जो द्वादशी को केवल उपवास ही करता है, उसे पूर्वोक्‍त फल का आधा भाग ही प्राप्‍त होता है। इसी प्रकार श्रावण में यदि मनुष्‍य भक्‍तियुक्‍त चित्त से मेरी पूजा करता है तो वह मेरी सालोक्‍य मुक्‍ति को प्राप्‍त होता है, इसमें तनिक भी अन्‍यिथा विचार करने की आवश्‍यकता नहीं है।📯*🅿

*🌞 🙏उपर्युक्‍त रूप से प्रतिमास आलस्‍य छोड़कर मेरी पूजा करते-करते जब एक साल पूरा हो जाय, तब पुन: दूसरे साल भी मासिक पूजन प्रारम्‍भ कर दे। इस प्रकार जो मेरा भक्‍त मेरी आराधना में तत्‍पर होकर बारह वर्ष तक बिना किसी विघ्‍न-बाधा के मेरी पूजा करता रहता है, वह मेरे स्‍वरूप को प्राप्‍त हो जाता है।🔔🌞🏆*

*🌞🔔📯🙏 राजन्! जो मनुष्‍य द्वादशी तिथि को प्रेमपूर्वक मेरी और वेदसंहिता की पूजा करता है, उसे पूर्वोक्‍त फलों की प्राप्‍ति होती है, इसमें संशय नहीं है।। जो द्वादशी तिथि को मरे लिये चन्दन, पुष्‍प, फल, जल, पत्र अथवा मूल अर्पण करता है उसके समान मेरा प्रिय भक्‍त कोई नहीं है। नरश्रेष्‍ठ युधिष्ठिर! इन्‍द्र आदि सम्‍पूर्ण देवता उपर्युक्‍त विधि से मेरा भजन करने के कारण ही आज स्‍वर्गीय सुख का उपभोग कर रहे हैं।🍊🌼🎉🍃🍂🌿*

               🚩🙏🚩

*🍂🍂राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने*🚩🚩 ॥

*॥ 🎄श्रीरामायणसूत्र 🎄॥*

*आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं काञ्चनम् वैदेहीहरणं जटायुमरणम् सुग्रीवसम्भाषणम् ॥ वालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लङ्कापुरीदाहनम् पश्चाद्रावणकुम्भकर्णहननं एतद्धिरामायणम्* ॥

*॥ 🎄श्रीभागवतसूत्र 🎄॥*

*आदौ देवकिदेविगर्भजननं गोपीगृहे वर्धनम् मायापूतनजीवितापहरणं गोवर्धनोद्धारणम् ॥ कंसच्छेदनकौरवादिहननं कुंतीसुतां पालनम् एतद्भागवतं पुराणकथितं श्रीकृष्णलीलामृतम्* ॥

*🌻सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनन्दनः । पार्थो वत्सः सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत्* ॥

*🙏Om Namo Bhagavate Vasudevay🎄🅿*

*💥🅿Jai Shree Mahakal🙏*

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